लेखनी कहानी - तड़पती रूह - डरावनी कहानियाँ
तड़पती रूह - डरावनी कहानियाँ
किसी गाँव में एक पठान और उसका हँसता खेलता परिवार रहा करता था, भेड़- बकरिया चराकर अपना और अपने परिवार का गुजारा जैसे-तैसे कर लेता था, मगर उसका मुख्य व्यवसाय खेती था ,इसके लिए समय पे बुवाई करना और खाद-बीज डालना जरुरी है , और इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात बारिश का सही मात्रा में होना भी, कम और अधिक वर्षा दोनों ही फसले बर्बाद कर देती है .
दो- तीन सालोँ तक उसको कम और उससे भी कम आमदनी हुई, इस कारण वो समय बुवाई भी नहीं कर सका, उसकी क़िस्मत ने उसको धोखा दिया जिस साल उसने बुवाई नहीं की उसी साल अच्छी बारिश हुई, अब गुजारे के लिये जमींदार से ब्याज लिया तो उसे चुकाने के लिए काम की तलाश में बाहर जाना पड़ा, पीछे से जमींदार ने उसके पत्नी और एक बेटी को पैसो के लिए परेशान करना शुरू कर दिया |
हद तो तब हो गई जब उसने पैसो की खातिर उसकी झोपड़ी में आग लगवा दी, इसी बीच पठान की बेटी ने जमींदार और उसके बेटे को वहाँ से भागते हुए देख लिया, दुर्भाग्य से उसकी पत्नी और बेटी दोनों उस आग से बच नहीं पाए | इधर पठान आया तो अब यहाँ उसके लिए कुछ नहीं बचा था उसने हादसे का कारण जानने की कोशिश भी की पर कुछ भी पता नहीं चल सका |
पठान की हालत पागलों जैसी हो गई और वो जंगलों और पहाड़ो में भटकता रहता एक दिन तंग आकर उसने आत्म-दाह करने की सोच ली और दरिया के पास चला गया और अल्लाह की आखरी इबादत में जुट गया , जैसे ही इबादत ख़त्म हुई तभी वहाँ से एक फ़क़ीर बाबा ,अल्लाह हूँ अल्लाह हूँ करते हुए जा रहे थे, वो उस पठान के पास आये और बोले बेटा मैं जानता हूँ क़िस्मत ने तुम्हारे साथ बड़ा बेरहम मजाक किया है, लेकिन बेटा कुदरत के आगे किसकी चली है, बेटा तुम जो करने जा रहे हो वो अल्लाह की नज़रों में गुनाह है .
पठान बोला-बाबा मैं जीकर भी क्या करूँ मेरे जिंदगी में अब कुछ नहीं बचा है, तभी बाबा बोले जो हो गया उसे बदलना संभव नहीं लेकिन मैं तुम्हे एक बात बताना चाहता हूँ अल्लाह के रहमो-करम से तुम्हारी बेटी का सरज़मीं पर फिर से वजूद हुआ है लेकिन बेटा उसकी रूह को अभी तक शांति नहीं मिली है वो तड़प रही है, तुम्हे उसे तलाशना होगा क्योंकि जब तक वो तुमसे नहीं मिलेगी तब तक उसकी रूह बेचैन रहेगी उसके जहन मे कुछ राज दबे है जो वो तुम्हे बताना चाहती है, पठान बोला बाबा इतनी बड़ी दुनिया में मैं उसे कहाँ तलाश करूँ |
आप ही कोंई रास्ता दिखाइए बाबा- बोले बेटा ज्यादा तो नहीं पर तुम्हे उसकी झलकी जरुर बता सकता हूँ बेटा तुम उसे किसी तालीम-घर के आस-पास मिलोगे ,लेकिन बेटा एक बात का ध्यान रखना तुम उसे इतनी आसानी से नहीं मिल पाओगे क्योंकि उसने अल्लाह के रहमो-करम से बहुत अमीर घराने में जन्म लिया है .
ये कहते हुए फ़क़ीर बाबा ,अल्लाह हूँ अल्लाह हूँ करते हुए आगे बढ़ गए | अब पठान के दिन बीतते गए तलाश करते करते १० साल बीत गए अब तो फ़क़ीर बाबा की बाते भी उसके जहन में धुंधली हो रही थी , अचानक एक दिन पठान एक बगीचे में आराम कर कर रहा था तभी कही आसपास की स्कूल में छुटी की घंटी बज गई तभी पठान की नज़र एक ११ साल की बच्ची पर पड़ी जो हु-बहू उसकी बेटी से मिलती थी, अब पठान को बाबा की कही हुई सारी बातें ताज़ा होने लगी .
फिर थोड़ी देर में उस बच्ची के माता पिता उसको लेने आ गए और वो उनके साथ कार में चली गयी , पठान रोज़ उस बच्ची को झाड़ियो के पीछे से देखता और उसमे अपने बच्ची को खोजने की कोशिश करता, एक दिन उस बच्ची की माँ ने पठान को देख लिया और वो पठान पर ध्यान देने लगी उसे लगने लगा की पठान उसकी बच्ची को बड़ा अजीब नज़रों से देख रहा था, वो बच्ची को लेकर चिंतित होने लगी , एक दिन उस बच्ची की माँ को आने में थोड़ी देर हो गई तो पठान ने उस बच्ची को पास बुलाया और स्नेह से उसके सिर पर फेरा और कुछ चीजे खाने के लिए दी , बच्ची खुश हो गई, उसकी हंसी में पठान ने अपनी बच्ची को देख लिया था.
अब वो वहाँ से चला गया, जब उसकी माँ आई तो उसने इन खाने की चीजों के बारे में पुछा तो बच्ची ने एक अंकल ने दी बताया तो उसकीं माँ ने हिदायत दी की अनजाने लोगो से कोंई चीज नहीं लेते, तो बच्ची ने कहा पता नहीं माँ पर मुझे वो अनजाने बिल्कुल नहीं लगे, तो माँ ने डांटते हुए बच्ची को चुप करा दिया | एक दिन उस बच्ची के माँ-पिता को आने में बहुत ज्यादा देर हो गई तो पठान ने उस बच्ची को घर पंहुचा दिया इधर उसके माँ-पिता उसको वहाँ नहीं पाकर परेशान होने लगे|
घर आने पर नौकर से पता चला की कोंई उसे घर पंहुचा गया है, अब पठान उस बच्ची के बंगले के आसपास उसे छुप छुप के निहारा करता था बच्ची भी उसे एकटक देखा करती थी ,कई बार पठान ने उसके माँ-पिता से उसे मिलने की इंतेज़ा भी की पर वो नहीं माने और उसे वहाँ से चले जाने के लिए कहते, अब रातों को बच्ची नींदों में अब्बू-अब्बू कह कर चौक कर उठ जाती थी उसके माँ -पिता ये देखकर परेशान होने लगे की ये किसको नींदों में याद करती है तभी उस बच्ची की माँ ने पठान को बंगले के आसपास देख लिया तो उसकी इस हिमाकत पर उसने उसकी शिकायत अपने पति से की |
पत्नी के जोर देने पर उसके पति ने पुलिस में रिपोर्ट कर दी पुलिस ने उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया, उनकी परेशानी को देखकर उन दम्पति के एक करीबी मित्र ने उन्हें बच्ची को हिप्नोटिस्म के जरिए इलाज का सुझाव दिया उन लोगो ने डॉक्टर से मिलने का समय लिया, डॉक्टर ने बच्ची को हिप्नोटिसस्म किया और उसकी जांच की फिर उन्होंने उसके माँ-पिता से कहा की बच्ची के अवचेतन मन कुछ बाते दबी हुई है जिसका बाहर आना जरुरी है नहीं तो ये स्थिति और भी बिगड़ सकती है अब उसके माँ पिता और ज्यादा चिंतित हो गए .
अब बच्ची रातो को अब्बू अब्बू कह कर चौक उठती थी और अचानक एक दिन जब उसकी माँ घर में खाना पका रही थी तभी वो बच्ची आग को देखकर जोर-२ से चीखने और चिल्लाने लगी और पुरे घर में इधर उधर भागने लगी, और कहने लगी अब्बू बचाओ अब्बू बचाओ , आग…आग…आग…… अब्बू बचाओ,|
कई बार ऐसा हुआ जब बच्ची पठान को देखकर उसके पास जाने की जिद करती उसके ये दौरे भी पठान को देखते ही रुक जाते थे तभी उन्होंने थक हारकर पठान को बुलाने की सोची, उसके आते ही बच्ची अब्बू -२ कहते हुए उससे लिपट गई उसके माँ-पिता ये देख कर हैरत में पड़ गये यह तो कभी इससे जानती तक नहीं और ये इसको आबू -२ क्यों बुला रही है , तभी पठान ने अपनी बेटी की तस्वीर निकालकर उनको दिखाई और बोला आपकी बेटी जब तक ठीक नहीं हो पाएगी जब तक बच्ची उसके साथ उसके गाँव नहीं जायेगी कोंई और रास्ता नहीं होने के कारण उस बच्ची के माँ-पिता ने पठान की बात मान लेने का निर्णय किया,
गाँव जाते ही बच्ची पठान को गाँव की हर चीजे बताने लगी बच्ची के माँ -पिता हैरत में पड़ गए ये तो यहाँ कभी आई ही नहीं तो इसे ये सब कैसे मालूम तभी गाँव के लोग बच्ची को देखकर पठान से बोले बेटा ये तो उस आग में…… तभी बच्ची दौड़ती हुई अपने उजाड़ हुए झोपड़ी के पास गई और रोने लगी अब्बू अपना घर तो जल गया था न यह तो बिलकुल वैसा ही है तभी पठान ने कहा हाँ मेरा बच्ची अपना घर कहाँ जला है तभी बच्ची सुबक-२ कर रोने लगी और अपने अब्बू से बोली अब्बू आपके जाने के बाद जमींदार और उसका बेटे ने हमारी झोपडी में आग लगा दी थी मैंने उसे आग लगाते हुए देखा था , पठान अपना खो बीटा और कुल्हाड़ी लेकर जमींदार के घर की तरफ बढ़ने लगा लेकिन गाँव वालो ने बताया जमींदार का पूरा परिवार एक सड़क हादसे में ख़त्म हो गया इधर वो बच्ची थोड़ी देर बाद फिर रोने लगी और बेहोश हो गई वो अपनी अवचेतन मन की अवस्था से बाहर आ गई और पठान को पहचाने से इनकार करने लगी क्योंकि अब इस जिंदगी में वो पठान से कभी मिली ही नहीं थी . और अपने असली माँ-पिता के पास चली गई |तो दोस्तों इस तरह एक तड़पती रूह को सुकून मिला……